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शराब तस्करी : बांका जिले में पुलिस और उत्पाद विभाग के हैं अपने अर्थशास्त्र


बांका LIVE डेस्क : पटना और राज्य के कई दूसरे हिस्सों में शराब के जखीरे बरामद हो रहे हैं. शराब के तस्करों पर कार्रवाईयां हो रही हैं. शराब बांका में भी आ रही है. बड़े पैमाने पर आ रही है. इनकी जमकर खरीद-फरोख्त भी हो रही है. यहां शराब के सेवन का भी सिलसिला जारी है. शराब बांका में भी पकड़ी जा रही है. इनके तस्करों पर भी कार्रवाइयां हो रही हैं. लेकिन पटना में होने वाली कार्रवाईयों का बांका जिले में चल रही कार्रवाइयों की औपचारिकताओं की तुलना करें, तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा.

बांका जिला झारखंड प्रदेश की सीमा से लगा है. इस जिले की दो तिहाई सीमा झारखंड से लगी है. झारखंड में शराब की खरीद-फरोख्त पर कोई रोक-टोक नहीं है. बांका जिले की कई प्रमुख सड़कें झारखंड की ओर जाती हैं. अनेक ग्रामीण सड़कें, जंगली रास्ते और पगडंडियां भी झारखंड को बांका जिले से जोड़ती हैं. इन रास्तों से होकर बांका जिले में शराब की तस्करी बेहद आसान है, और इस सुविधा का शराब तस्कर बाकायदा लाभ भी उठा रहे हैं. न सिर्फ बांका बल्कि झारखंड से बांका जिले से होकर राज्य के दूसरे हिस्सों में भी शराब की छोटी बड़ी खेप पहुंचाई जा रही है.

समय-समय पर इन शराब कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है. शराब पकड़े जाते हैं और शराब के तस्कर भी. लेकिन ये कार्रवाइयां जो बांका पुलिस द्वारा की जाती हैं या फिर उत्पाद विभाग द्वारा किए जाते हैं, उनका प्रोफाइल आमतौर पर इतना छोटा होता है कि इन कार्रवाइयों की पृष्ठभूमि और मंसूबे का आकलन करना बहुत कठिन नहीं होता. बांका जिले में शराब तस्करों के बड़े रैकेट का पर्दाफाश तभी हुआ है जब एसआईटी पटना की टीम द्वारा यहां आकर कार्रवाई की गई है. बौंसी में भूसे से लदे ट्रक में छिपाकर लायी जा रही शराब की बड़ी खेप हो या चांदन थाना क्षेत्र की सीमा से लगे देवघर के हिस्से में मिनरल वाटर और केमिकल कारखाने के नाम पर शराब की पैकेजिंग का मामला हो, बड़ी कार्रवाई यहां सिर्फ एसआईटी पटना की टीम द्वारा ही की जा सकी है.

बांका जिले में पुलिस प्रशासन और उत्पाद विभाग के रवैये और भूमिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शराब की बरामदगी या शराब तस्करों की गिरफ्तारी के ज्यादातर मामले झारखंड की सीमा से काफी अंदर आकर जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में होते हैं. जबकि राज्य सरकार के निर्देश पर और बहुत कुछ जिले की प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत झारखंड से लगी बांका जिले की सीमा पर जगह-जगह चेकपोस्ट बनाए गए हैं. शराब का जिले में अवैध ट्रैफिक रोकने के लिए ही ये चेकपोस्ट राज्य में शराबबंदी लागू किए जाने के साथ ही बनाए गये. फिर यह सवाल लाजमी है कि इन चेक पोस्टों पर झारखंड से आती हुई शराब की खेप की बरामदगी और शराब तस्करों पर कार्रवाई ना होकर जिले के अंदरूनी हिस्से में स्थित दूसरे थाना क्षेत्र में क्यों हो रही है? आखिर इन चेकपोस्टों पर शराब की खेप और शराब तस्करों को आगे बढ़ने का लाइसेंस कौन दे रहा है? और उन पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है?

दरअसल बांका जिले में जो स्थितियां है, उन से साफ जाहिर है कि जिले में शराब के कारोबार को रोकने और शराब तस्करों पर कार्रवाई के नाम पर पुलिस और उत्पाद विभाग जो कुछ भी कर पा रहे हैं, उनके पीछे उनका अपना अर्थशास्त्र होता है. उत्पाद विभाग तो एक कदम और आगे बढ़ कर आदिवासी गांवों में महुआ से चुलाई जाने वाली दो एक लीटर शराब बरामदगी के स्तर तक जाकर अपना भद्द पिटवा रहा है. यह एक बड़ा सवाल है. लेकिन साथ ही साथ जवाब यह भी है कि ऐसे सवाल उठाने वाले यहां नहीं हैं. वरना बांका जिले में भी पटना और राज्य के दूसरे हिस्सों जैसे शराब कारोबारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाइयां प्रकाश में आतीं.
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